About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Friday, October 04, 2013

शिव की खोज



मन के मंथन से जो उपजा 
बंजर कर दे सारी वसुधा 
ऐसा पश्चाताप का हलालाल 
अंजलि में लिए फिरता हूँ 
कर ले जो जनहित में विषपान 
ऐसे शिव को खोजता फिरता हूँ 

विचारों के धरातल को तोड़ दे 
मेरी सोच की सीमाओ को लाँघ दे 
कर दे मन के टुकड़े टुकड़े 
हर एक टुकड़ा नवजीवन हों 
कर दे विनाश का तांडव 
ऐसे शिव को खोजता फिरता हूँ 

हे ब्रह्म तुम सृजन को तैयार रहों 
मैं आता हूँ अपने मन को लेके 
मृत्यु का आशीर्वाद दे कर 
जीवन की ओर जो मन को भेजे 
पूर्ण करें जो जीवन चक्र को
ऐसे शिव को खोजता फिरता हूँ

2 comments:

Sweta said...

Very well written OP ji....

I wish the poem was longer :)

ओमी said...

Thanks Sweta ji
Will try to append later ..have some idea but not so sure :)