About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Tuesday, August 21, 2012

इश्क

फूल, फूल से लगते हैं
चाँद, चाँद सा लगता हैं
चेहरा कोई नज़र आता नहीं
भीड़, भीड़ सी लगती हैं
आवाज़े, शोर सी लगती हैं
अनजान कोई अपना लगता नहीं
क्यूँ हमको इश्क होता नहीं
 
किसी शाम को कभी कभी 
इश्क का बुखार सा लगता हैं
उलटी सीधी शायरी वाला  
खांसी का दौरा भी पड़ता हैं
बिना दवा के ठीक हो जाये 
मर्ज़ ये भी रहता नहीं  
क्यूँ हमको इश्क होता नहीं

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