About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Wednesday, June 29, 2011

ट्रेफिक जाम

गाड़ियों के पीछे है गाड़ियों का रेला
गाड़ियों के आगे खड़ा सिपाही अकेला
लाल बत्ती को सब कोसे है भैया
कार की सीट पे सिमट गयी दुनिया

होर्न पर शक्ति प्रदर्शन है करते
भूल गए सब्र से इंतेज़ार करना
थोड़ी सी जगह से चाहे निकलना
सब चाहे यही तो कैसे होगा जाना

कहने को पढ़े लिखे है डॉक्टर
कोई है इंजिनियर कोई है मैनेजर
समस्या में देखो इनका योगदान
अपनी तो कार हम है बड़े इन्सान

कुछ का काम अमीरों को कोसना
अपनी स्कूटर या ऑटो खुसेड़ना
छोटे से अहंकार के सब है मारे
नियमो को पालना सिद्धांतो के परे

अपने दो मिनट की जल्दी में
दुसरो के लुटवाए दिए घंटे
गलती मान के सुधर जाये
ऐसे तो नहीं कोई नेक बंदे

कह गए सिया से देखो राम
कलजुग माने ट्रेफिक जाम
कैसे सतयुग फिर से आएगा
बेचारा किसी सिग्नल पे फँस जायेगा

1 comment:

main_sachchu_nadan said...

waah bhai wah, last wala stanza to particularly kabil-e-tarif hai :-)