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I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Saturday, June 25, 2011

लोकतंत्र का नारा

ये कैसा है लोकतंत्र का नारा
आम आदमी है नेताओ का मारा

कोई थोपा जाता हाई कमान से
कोई बन जाता प्रधानमंत्री जन्म से
जिसको कहना है वो चुप बैठ रहता
जिसको समझ नही वो काव काव है करता
किसी को अपनी बेटी की चिंता
देश की बेटिया चाहे मरती रहे
कोई लगवाता अपनी मूर्ति यहाँ वहाँ
चाहे देश की मूर्ति खंडित होते रहे
केंद्र का करते है ये विरोध
सकारात्मक विपक्ष की भूमिका
राज्यों में सरकार इनकी
लेकिन फिर भी वही पिटारा
ये कैसा है लोकतंत्र का नारा
आम आदमी है नेताओ का मारा

पत्रकार एजेंट बने है और
उद्योगपति काटे जंगल
जंगल वाले चलाये गोली
हर परिवार का बेटा घायल
अपना देश अपना न रहा
गर्व था जिन शहरो पर
उन शहरो में गाव का आदमी
अब बाहरी बन है गया
वोटो ने बिगाड़ा है खेल सारा
ये कैसा है लोकतंत्र का नारा
आम आदमी है नेताओ का मारा

1 comment:

Sweta said...

aam janta ki majburi ko bakhubi pesh kiya hai aapne...
bahut aacha!