About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Monday, July 26, 2010

इमोशनल अत्याचार

आखों के आँसुं है उसके हथियार
कोई तो बचाओ कबसे करे पुकार
सुबह नाश्ते में पराठा जला हुआ
लंच बॉक्स में वही टुकड़ा बचा हुआ
हमेशा फैले रहे किचन में आंतकवाद
मेरे क्रिकेट का होजाये सत्यानाश
जाने कौन कौन से जनम की बात
बस हर पल मुझको दिलाये याद
सोते हुए भी सारी रामायण सुनाये
रामायण में महाभारत भी छिड़ जाये
प्यार जैसे फोटो एल्बम में दब गया
शिकायतों का पुलिंदा ही बच गया
सात जनम का वादा अब कौन निभाए
होगा अहसान जो यह जनम बच जाये
ओ मेरे भगवन अब तो लेलो अवतार
सहन नहीं होता इमोशनल अत्याचार

3 comments:

miltan said...

बहुत खूब.....बहुत खूब

Unknown said...

I mailed this poem to my husband.....he couldnt help smiling:)

Unknown said...
This comment has been removed by the author.