About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Wednesday, January 05, 2011

गुमनाम शाम

कभी किसी गुमनाम शाम की बाहों में
युहीं याद आ जाता है वो पुराना वादा
फ़िर बीते हुए लम्हों की तस्वीर लिए
वो ताकता रहता है खाली आसमा

आखों के रंग बदलती थी जो बाते
आज अपने साथ ले आती है बुँदे
युहीं पलकों में तैरती रहती है
अब उनको जमीन पे नहीं गिराता

किसी के आने की उम्मीद नहीं रखता
ना किसी इत्तेफाक पर यकीन करता
युहीं इस तरह वक़्त है बीत जाता
फ़िर भी वो उस जगह से नहीं उठता

2 comments:

Uday Mishra said...

liked it .. everyone has some "Gumnaam" memories for gumnaam sham ;)

Sagar said...

good one omi....