About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Tuesday, July 27, 2010

भूतकाल का बंदी

कौन छुड़ाएगा ये बंधन है ऐसा
खुद की ज़ंजीरो में बंधा है बैठा
कच्चे धागों को समझा है लोहा
भूतकाल का बंदी मैं तो रह गया अकेला

मेरे मन के अंदर रात का साया
बाहर जो देखू है मेरी ही छाया
छुपा के खुदको खुद ही को खोजा
भूतकाल का बंदी मैं तो रह गया अकेला

मेरे कंधो पे मेरी यादो का है बोझा
कल ही के फेरे में चक्कर है सारा
देखा ना पाउ आज अपना ऐसा हु मारा
भूतकाल का बंदी मैं तो रह गया अकेला

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