About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Saturday, January 29, 2011

ख़ामोशी

खामोश है हवा
बंद खिडकियों के दरम्या
खामोश है दीवारे
उनमे टंगी तस्वीरो की तरह
अजीब सी ख़ामोशी
आजकल रहती है मेरे घर में
ख़ामोशी के शोर में
खुद से हो नहीं पाती बाते

इस कोने से
घर के उस कोने तक
जाने कितनी
मीलो की है दुरिया
जब गया था
पिछली बार मैं वहा
सुना था उस
कोने का भी फलसफा

अपनी शक्ल भी
आईने में अजनबी लगती है
अब जिंदगी भी
बिता हुआ कल लगती है
खोल लु दरवाज़ा
अब मेरी हिम्मत नहीं होती
अजीब सी ख़ामोशी
अब मेरे लबो से नहीं जाती


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