About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Saturday, June 30, 2007

Zinda

रौशनी और अंधेरो का फर्क महसूस नही होता
सन्नाटे मे अकेला मेरा दिल ही है चिखता
सांसें चलती है जैसे कोई क़र्ज़ चुकाने को
जलता है मेरा बदन मुझको यह बताने को
की मैं जिंदा हू

एक वही लम्हा जी रहा ह मैं बरसों से
खुलती है मेरी आँखें इन्ही दीवारों मे
मरने क लिए मैं क्या नही करता
नाकामयाब कोशिश यह कहती है
की मैं जिंदा हू

कोई तो जनता होगा आख़िर यह कैसी कैद है
मेरे इंतज़ार की क्यों नही कोई हद है
खुदा तुझपे ही अब रह गया भरोसा
तू ही बता यह तेरी राजा है या कोई गलती
की मैं जिंदा हू

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