About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Tuesday, April 27, 2010

प्रेम कविता

कैसे कह दू क्या है होता
कैसे लिख दू प्रेम कविता

माधुर्य का पर्याय तुम्ही हो
संध्या की हो अद्भुत बेला
कुमुदनी कुसुम कहू या
कह दू चन्द्रमा की शीतलता

नैनों में लिखी एक पहेली
भावनावो की हो रंगोली
अनंत की हो जैसे रौशनी
हो मेरे ह्रदय की सहेली

तू अलबेली जो सुनना चाहे
शब्द नहीं जो वो कह पाए
कैसे कह दू क्या है होता
कैसे लिख दू प्रेम कविता

2 comments:

Sweta said...

Loved it... hope that says everything :)

Sagar said...

only one word for that "Fantastic"