About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Tuesday, November 15, 2011

रंगरेज़ पिया

ओ रंगरेज़ पिया मुझे रंग दे 
तु अपने ही इश्क के रंग में

मंदिर मस्जिद मैं क्या जाऊ
बिकते वहाँ है कपड़े रंग बिरंगे 
बाज़ार बना कर रखा है सबने 
तेरा रंग आखिर कौन बताये
ओ रंगरेज़ पिया मुझे रंग दे 
तु अपने ही इश्क के रंग में

चमड़ी रंग दी गोरी काली
रख दिया कोरा मन मेरा 
इसको कितने रंग चढ़ाये 
फिर भी रहा ना कोई गहरा  
ओ रंगरेज़ पिया मुझे रंग दे 
तु अपने ही इश्क के रंग में

1 comment:

Sweta said...

liked it!!