About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Monday, October 25, 2010

दीवाने

भीड़ भरे बाजारों से
जो गलिया गुजरती है
आवाजों के झुरमुट में 
पहचानी कोई हंसी नहीं 

हर एक लम्हे में 
एक उम्र गुजरती है
और इंतज़ार में उनके
शाम ढलती ही नहीं

कुछ देर में बादलो की भी 
बस तस्वीर बदलती है 
रंग बदलते आसमा में 
एक रंग है जो आता नहीं 

यु सूरज को डुबाने से
अँधेरा तो हो जाता नहीं
रौशनी चाँद की बहुत है  
चिलमन है कि हटते नहीं

एक दीदार की तमन्ना में
रात युही गुजरती है
फिर भी सकरी गलियों में 
इन दीवानों की कमी नहीं

2 comments:

Sagar said...

Good one..

Sweta said...

romantic ;)